5 Simple Statements About hanuman chalisa Explained
5 Simple Statements About hanuman chalisa Explained
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व्याख्या – देवता, दानव और मनुष्य तीनों ही आपके तेज को सहन करने में असमर्थ हैं। आपकी भयंकर गर्जना से तीनों लोक काँपने लगते हैं।
व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।
भावार्थ – हे अतुलित बल के भण्डार घर रामदूत हनुमान जी! आप लोक में अंजनी पुत्र और पवनसुत के नाम से विख्यात हैं।
तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥ आपन तेज सह्मारो आपै ।
Hanuman is surely an ardent devotee of Ram and one of several central figures while in the renowned Hindu epic, the Ramayana
सुमिर चित्रगुप्त ईश को, सतत नवाऊ शीश। ब्रह्मा विष्णु महेश सह, रिनिहा भए जगदीश॥
पवनदीप राजन द्वारा गाया हनुमान चालीसा
बिना श्री राम, लक्ष्मण एवं सीता जी के श्री हनुमान जी का स्थायी निवास सम्भव भी नहीं है। इन चारों को हृदय में बैठाने का तात्पर्य चारों पदार्थों को एक साथ प्राप्त करने का है। चारों पदार्थों से तात्पर्य ज्ञान (राम), विवेक (लक्ष्मण), शान्ति (सीता जी) एवं सत्संग (हनुमान जी) से है।
व्याख्या – जन्म–मरण–यातना का अन्त अर्थात् भवबन्धन से छुटकारा परमात्म प्रभु ही करा सकते हैं। भगवान् श्री हनुमान जी के वश में हैं। अतः श्री हनुमान जी सम्पूर्ण संकट और पीड़ाओं को दूर करते हुए जन्म–मरण के बन्धन से मुक्त कराने में पूर्ण समर्थ हैं।
व्याख्या – श्री हनुमान जी अष्ट–सिद्धियों से सम्पन्न हैं। उनमें सूक्ष्मातिसूक्ष्म एवं अति विस्तीर्ण दोनों रूपों को धारण करने here की विशेष क्षमता विद्यमान है। वे शिव (ब्रह्म) का अंश होने के कारण तथा अत्यन्त सूक्ष्म रूप धारण करने से अविज्ञेय भी हैं ‘सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयम्‘ साथ ही काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, अहंकार, दम्भ आदि भयावह एवं विकराल दुर्गुणों से युक्त लंका को विशेष पराक्रम एवं विकट रूप से ही भस्मसात् किया जाना सम्भव था। अतः श्री हनुमान जी ने दूसरी परिस्थिति में विराट् रूप धारण किया।
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भावार्थ– जो व्यक्ति इस हनुमान चालीसा का पाठ करेगा उसे निश्चित रूप से सिद्धियों [लौकिक एवं पारलौकिक] की प्राप्ति होगी, भगवान शंकर इसके स्वयं साक्षी हैं।
आप सुखनिधान हैं तथा सभी सुख आपकी कृपा से सुलभ हैं। यहाँ सभी सुख का तात्पर्य आत्यन्तिक सुख तथा परम सुख से है। परमात्म प्रभु की शरण में जाने पर सदैव के लिये दुःखों से छुटकारा मिल जाता है तथा शाश्वत शान्ति प्राप्त होती है।
He will likely be a Section of humanity endlessly, whilst the story of Rama lives on plus the Tale will go on as the gods recite the Tale often. Consequently, He'll live eternally.[55]